क्या वो आई थी?
किसको लगता है यहाँ वो आई थी,
झाँका था, पलकें झपकाईं थी;
साँसों से सदियाँ महकाई थी,
किसने कहा वो आई थी।
कभी कंगन की आवाजें हैं,
पायल भी झनकाती है;
पर किसके कहने पर आई थी,
और किसको लगता है वो आई थी।
जब घूमा करते थे अंधियारों में,
कानों के झुमके सुन सुन कर;
जब लगता था वो आई है,
कब लगता था वो आई है।
हाथों की खुशबू बहकाती थी,
चेहरे पर हँसी खिल जाती थी;
पर कबसे पूछता घूम रहा,
क्या किसी ने उसे देखा जब वो आई थी?
2 comments:
अरे आप परिचय में तो कहते हैं कि आप हमेसा विजयी होते हैं फिर चिट्ठे की पंच लाइन इसके विपरीत क्यों है :-)
हिन्दी में और भी लिखिये। कृपया वर्ड वेरीफिकेशन हटा लें। मेरी उम्र के लोगों को यह तंग करता है।
अरे आप अपने परिचय में तो कहते हैं कि आप हमेशा हर परिस्थिति में विजयी होते हैं फिर चिट्ठे की पंच लाइन इसके विपरीत क्यों है :-)
हिन्दी में और भी लिखिये। कृपया वर्ड वेरीफिकेशन हटा लें। मेरी उम्र के लोगों को यह तंग करता है।
कृपया इसके पहला वाली मेरी टिप्पणी हटा दें।
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